1. Garjiya Devi Temple:-नदी के बीचों-बीच स्थित है मां गिरिजा का दिव्य धाम, जहां कभी शेर भी करते थे परिक्रमा।
देवभूमि उत्तराखंड की सुरम्य वादियों में विराजमान है मां Garjiya Devi का पावन धाम।
नैनीताल जिले की Ramnager तहसील से लगभग 15 किलोमीटर दूर सुंदरखाल गांव में स्थित यह दिव्य मंदिर एक छोटे से टीले पर बना है। माता Garjiya का यह मंदिर प्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर, हरे-भरे जंगलों और कल-कल बहती कोसी नदी के बीचों-बीच स्थित है। स्थानीय लोग इस मंदिर को Garjiya Mata Mandir के नाम से जानते हैं।
मां Garjiya के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को 90 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। चूंकि मंदिर एक छोटे से पहाड़ी टीले पर बना है, इसलिए इन संकरी सीढ़ियों पर एक समय में केवल एक ही भक्त चढ़ सकता है।
2. कभी शेर करते थे परिक्रमा
गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण देवी पार्वती को ‘गिरिजा’ ( Garjiya ) कहा जाता है। ‘गर्जिया’ (Garjiya ) शब्द दरअसल गिरिजा का ही स्थानीय अपभ्रंश है। ऐसी मान्यता है कि अतीत में इस क्षेत्र में शेर माता के मंदिर की परिक्रमा करते थे और उनकी गर्जना से जंगल गूंज उठता था। तभी से माता को ‘Garjiya Devi‘ के नाम से पुकारा जाने लगा।
3. भगवान भैरव के कहने पर यहीं रुकी थीं मां
यह मंदिर कई चमत्कारी मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यह टीला, जिस पर मंदिर स्थित है, कभी किसी पर्वतखंड से टूटकर कोसी नदी के साथ बहता हुआ यहां तक आया था। जब यह टीला बहता हुआ इस स्थान पर पहुंचा, तब भगवान भैरव ने उसे रोकते हुए कहा, “थि रौ, बैणा थि रौ” — यानी “ठहरो बहन, यहीं ठहरो”। मां ने उनके आग्रह को स्वीकार कर यहीं निवास करना स्वीकार किया।
मान्यता यह भी है कि माता की पावन प्रतिमा यहां खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। मंदिर के ठीक नीचे भगवान भैरव का मंदिर भी स्थित है। कहा जाता है कि जब तक भक्त भगवान भैरव के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक मां की पूजा अधूरी मानी जाती है। यहां भगवान भैरव को विशेष रूप से खिचड़ी का भोग अर्पित किया जाता है।
विशेषताएं जो इसे बनाती हैं खास:
कोसी नदी के बीचों-बीच एक टीले पर स्थित मंदिर, जो हर मौसम में एक अलग ही दृश्य पेश करता है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए 90 संकरी सीढ़ियां चढ़नी होती हैं, जो एक रोमांचकारी अनुभव भी देती हैं।
यह स्थल न सिर्फ धार्मिक, बल्कि प्राकृतिक फोटोग्राफी, ट्रेकिंग और शांति की तलाश करने वालों के लिए भी आदर्श है।
सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च (शीतकालीन महीनों में यहां की प्राकृतिक सुंदरता चरम पर होती है)
कैसे पहुंचे: रामनगर रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है
कहां ठहरें: रामनगर और आसपास कई रिसॉर्ट्स और होटल उपलब्ध हैं, विशेषकर कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास